नई दिल्ली.... यूनिसेफ इंडिया ने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री कीर्ति सुरेश को सेलिब्रिटी एडवोकेट के रूप में नियुक्त किया है।
तमिल, तेलुगु और मलयालम सिनेमा की एक प्रभावशाली और लोकप्रिय अभिनेत्री, कीर्ति अब उन प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की श्रेणी में शामिल हो गई हैं जो यूनिसेफ के साथ मिलकर बच्चों के अधिकारों की बात करते हैं। इस भूमिका में, वह बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के साथ-साथ अन्य प्रमुख बाल अधिकार मुद्दों पर अपनी आवाज और प्रभाव का उपयोग करेंगी, ताकि हर बच्चे के लिए जागरूकता और सकारात्मक कार्रवाई को बढ़ावा दिया जा सके।
कीर्ति सुरेश अपने किरदारों के माध्यम से समाज में प्रचलित रूढ़िवादिता को चुनौती देने वाली महिलाओं का सशक्त चित्रण करने के लिए जानी जाती हैं। उनकी फिल्मों के चयन में लैंगिक समानता, सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन में उनके विश्वास की झलक मिलती है। यूनिसेफ के साथ मिलकर वह मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा और लैंगिक समानता जैसे विषयों पर जनजागरूकता बढ़ाने के लिए काम करेंगी - ये वे मुद्दे हैं जिनका समर्थन कीर्ति ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन दोनों करती हैं।
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्री ने कहा, "यूनिसेफ इंडिया को प्रतिष्ठित अभिनेत्री कीर्ति सुरेश के साथ साझेदारी करके खुशी हो रही है। दर्शकों के साथ उनका गहरा जुड़ाव बच्चों के अधिकारों और कल्याण की वकालत करने के लिए एक शक्तिशाली और प्रेरणादायक मंच प्रदान करता है। यूनिसेफ इंडिया की सेलिब्रिटी एडवोकेट के रूप में, वह हमारे साझा मिशन में जुनून और प्रभाव लेकर आती हैं ताकि हर बच्चे, हर युवा – विशेष रूप से जो सबसे अधिक असुरक्षित हैं – तक वे गुणवत्तापूर्ण सहयोग और सेवाएं पहुंचाई जा सकें जिनकी उन्हें सुरक्षित, स्वस्थ और अपने सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यकता है।''
इस मौके पर कीर्ति सुरेश ने कहा, "बच्चे हमारी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी और सबसे बड़ी आशा हैं। मैं हमेशा मानती आई हूं कि प्यार और देखभाल से भरा पालन-पोषण बच्चों को वह सामाजिक और भावनात्मक कौशल सिखाता है, जिनकी उन्हें एक खुशहाल, स्वस्थ और संतोषपूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यकता होती है। यूनिसेफ इंडिया के साथ काम करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं हर बच्चे के लिए, चाहे उसका पृष्ठभूमि या क्षमता कोई भी हो, समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता फैलाने और कार्रवाई को प्रेरित करने की उम्मीद रखती हूं। "
भारत में लगभग 5 करोड़ बच्चे और किशोर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन स्टिग्मा और सेवाओं तक सीमित पहुंच के कारण बहुत कम लोग सहायता प्राप्त कर पाते हैं। यूनिसेफ, सरकार और भागीदारों के साथ मिलकर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने, स्टिग्मा तोड़ने और हर बच्चे के लिए मानसिक स्वास्थ्य एवं मनो-सामाजिक सहयोग की पहुंच को विस्तारित करने पर काम कर रहा है।