हलिया (मिर्ज़ापुर): संचारी रोग अभियान के तहत ग्राम लायन, महुगड़ में मंगलवार को प्रचार प्रसार किया गया। किसानों को सूचित करते हुए सहायक विकास अधिकारी कृषि नरेंद्र कानापुरिया ने बताया कि हलिया में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कृंतक नियन्त्रण के अन्तर्गत स्क्रबटायफस रोग की रोकथाम हेतु संचारी रोग नियन्त्रण अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। इसके अन्तर्गत मुख्यतः खेतों में तथा रेण्डम आधार पर घरों के चूहों एवं छछूदरों को रोकने का प्रभावी प्रयास किया जा रहा है। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी माह अप्रैल 2025 में संचारी रोग नियन्त्रण के अन्तर्गत कृषि विभाग द्वारा जन सहभागिता के माध्यम से क्षेत्रीय कर्मचारियों एवं जन सामान्य का सहयोग लेकर प्रचार-प्रसार और इसे होने वाली हानियां तथा मानवीय जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से जनसमुदाय को अवगत कराते हुये आवासीय घरों एवं उनके आस-पास चूहा एवं छछुंदर नियन्त्रण अभियान चलाया जा रहा है। चूंकि संचारी रोगों के प्रसार के लिये अन्य कारकों के साथ-साथ चुहा एवं छछुंदर भी उत्तरदायी हैं, इसलिये इन रोगों की रोकथाम के लिये चूहा एवं छछुंदर का भी प्रभावी नियन्त्रण आवश्यक है। एक आकलन के अनुसार 40 प्रतिशत बीमारी स्क्रबटाइफस के संक्रमण के कारण होती है, जिस हेतु चूहा एवं छछुंदर रोग वाहक का कार्य करते हैं तथाचूहा नियन्त्रण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ चूहा नियन्त्रण रसायनों का प्रयोग करते समय हाथ में दस्ताने पहनें। रसायनों को बच्चों की पहुँच से दूर रखें।मरे हुए चूहों को सावधानीपूर्वक घर के बाहर मिट्टी में दबा दें।दवा के प्रयोग के दौरान घर में रखी खाद्य सामग्री इत्यादि को अच्छी तरह से ढ़क दें।इनके आवागमन से इनके ऊपर लगे परजीवी झाड़ियों में चिपक जाते है, जिससे मनुष्यों में प्रकोप की सम्भावना रहती है।
चूहों को नियन्त्रित करने के उपायः चूहे मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। घरेलू एवं खेत के चूहे। घरेलू चुहा घर में पाया जाता है, जिसे चुहिया या मूषक कहा जाता है। खेत के चूहों में फील्ड रेट, सॉफ्ट फर्ड फील्ड रेंट एवं फील्ड माउस प्रमुख है। इसके अतिरिक्त भूरा चूहा खेत व घर दोनों जगह पाया जाता है। जबकि जंगली चुहा जंगलों, रेगिस्तानों, निर्जन स्थानों झाड़ियों में पाया जाता है। चूहों संख्या को नियंत्रित करने के लिए अन्न भण्डारण पक्का, कंकरीट तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिए, ताकि उनकी भोज्य पदार्थ सुगमता से उपलब्ध न हो सकें।चूहें अपना बिल, झाड़ियों, कूहों एवं मेडों आदि में स्थाई रूप से बनाते हैं। स्रोतों का समय-समय पर निरीक्षण एवं साफ-सफाई करके इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं बिल्ली, सॉप, उल्लू, लोमडी,बाज एवं चमगादड़ आदि द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इनको संरक्षण देने से चूहों की संख्या नियन्त्रित हो सकती है।चूहेदानी का प्रयोग करके उसमें आकर्षक चारा जैसे रोटी, डबलरोटी, बिस्कुट आदि रखकर चूहों को फंसा कर मार देने से इनकी संख्या नियन्त्रित की जा सकती है। घरों में ब्रोमोडियोलान 0.005 प्रतिशत के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखने से चूहे उसको खाकर मर जाते हैं।एल्यूमिनियम फॉस्फाइड दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डाल कर, बिल बन्द कर देने से उससे निकलने वाली गैस से चूहे मर जाते हैं।