नयी दिल्ली ... तीनों सेनाओं के शीर्ष नेतृत्व ने समसामयिक संघर्षों से मिली सीख और भविष्य की जरूरतों तथा चुनौतियों को देखते हुए सेनाओं के बीच एकजुटता और परस्पर तालमेल की जरूरत पर बल दिया है ।
सेना के प्रवक्ता ने गुरूवार को एक वक्तव्य जारी कर बताया कि सेना के शीर्ष कमांडरों के मंगलवार को संपन्न हुए सम्मेलन में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान और सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के साथ साथ वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कमांडरों को संबोधित किया।
सेनाओं के शीर्ष नेतृत्व ने समसामयिक संघर्षों से मिले सबक को देखते हुए सेनाओं के बीच बढ़ी हुई एकजुटता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अधिक से अधिक संचालन परिणामों के लिए सेनाओं के बीच जमीनी स्तर पर तालमेल के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने अपनी-अपनी सेनाओं में चल रही नयी पहलों की मुख्य बातें साझा करते हुए संयुक्त संचालन और अभ्यास के दौरान निर्बाध समन्वय सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सेना के वरिष्ठ नेतृत्व ने सुरक्षा से संबंधित पहलुओं की पर विस्तार से विचार-मंथन किया, जिसमें सेना को आधुनिक तथा भविष्य की जरूरतों के अनुरूप सक्षम बनाना , क्षमता विकास के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाना, परिचालन तैयारियों को बढ़ाना , सुरक्षा चुनौतियों से निपटना और मानव संसाधन से संबंधित मुद्दे शामिल थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा में सेना की अपरिहार्य भूमिका को स्वीकार करते हुए सेना में देश के विश्वास की पुष्टि की। उन्होंने सीमाओं की रक्षा करने, आतंकवाद से लड़ने और संकट के दौरान नागरिक प्रशासन को सहायता प्रदान करने में सेना की उत्कृष्ट भूमिका की सराहना की। उन्होंने निरंतर बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सैन्य नेतृत्व से सैद्धांतिक, संरचनात्मक और संगठनात्मक सुधारों की लगातार समीक्षा करने का आह्वान किया।
जनरल चौहान ने पेशेवर दृष्टिकोण के साथ सीमाओं की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के साथ-साथ चुनौतियों से निपटने और जरूरी बदलावाें को उत्साहपूर्वक अपनाने के लिए सेना और सैनिकों की सराहना की। उन्होंने वरिष्ठ नेतृत्व से ‘सैन्य मामलों में तीसरी क्रांति’ के आह्वान के अनुरूप एकजुटता, एकीकरण और तकनीकी पहलुओं को अपनाने को भी कहा।