फखरपुर, बहराइच। पेड़ी फसल किसान की औसत उपज का मुख्य आधार है, इसलिए पेड़ी पर किसानो को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पेड़ी में बीज, खेत की तैयारी, बुवाई खर्च, बीज शोधन खर्च आदि की भारी बचत है! पेड़ी प्रबंधन में सबसे पहले सूखी पत्ती खेत में बराबर फैलाये, जलाये नहीं क्योंकि सूखी पत्ती फसल के सभी पोषक तत्वों का भंडार है। पौधा गन्ना कटाई के बाद एक भी ठूंठ यदि खेत में हो तो जमीन के नीचे से काट दे, जिससे फुटाव अच्छा हो सके। तत्काल सिचाई कर दे, और प्रति एकड़ की दर से एक बैग यूरिया प्रयोग करे। सिंचाई के 2 दिन बाद 10 किलो ट्राइकोडर्मा को 5 बैग पारले जैविक खाद के साथ मिलाकर पूरे खेत में डाल दे। जब सूखी पत्ती अच्छी प्रकार सड़ जाये तो प्रति एकड़ 2 बैग पारले ऑर्गनिक पोटाश, 2 बैग एनपीके एक साथ मिलाकर डाल दे, और जुताई-गुड़ाई कर दे। इससे पेड़ी की पैदावार पौधा फसल से भी अच्छी होगी। इसके अलावा 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहे। फसल और अच्छी हो इसके लिए रोग एवं कीड़ो का नियंत्रण समय-समय पर जरुरी है। फसल की अच्छी बढ़वार और रोग-कीड़ो के नियंत्रण हेतु माह मई-जून में कम से कम 2 स्प्रे जरूर करे। इसमें प्रति एकड़ 1 किलो ग्रोमोर स्पीडफोल एनपीके, 100 मिलीलीटर इमिडा क्लोरप्रिड, 100 ग्राम हेक्सास्टोप फफूंदीनाशक 200-250 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव नमी की दशा में करे। इसके अलावा जिन किसानों द्वारा अभी गन्ना बुवाई नहीं की है वह सभी अविलम्भ इस महीने के अंत तक अपनी बुवाई समाप्त कर ले। किसान वैज्ञानिक खेती को अधिक से आधिक बढ़ावा दे, और अपने गन्ने की पेड़ी-पौधा से औसत पैदावार प्रति एकड़ 500 कुंतल जरूर ले। जिससे किसानों की शुद्ध आय में इजाफा हो सके। इन सभी बातों का अनुरोध पारले के एसोसिएट मुख्य गन्ना प्रबंधक संजीव राठी द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान उपस्थित मिले किसानों से किया गया। राठी द्वारा फखरपुर, मरौचा, पदमपिछौरा क्षेत्र की विजिट की गई। विजिट के दौरान काफी संख्या में किसान मिले और साथ में पारले कंपनी के अन्य अधिकारीगण सूबेदार, रुचिन, अखंड, अमरेंद्र, अमर, शक्ति, नागेंद्र, प्रवेश, सरनाम, अमर बहादुर, नीरज उपस्थित रहे।