लखनऊ से हिंदी एवं उर्दू में एकसाथ प्रकाशित राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र
ताजा समाचार

समाचार विवरण

डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट

मीडिया हाउस, 16/3 'घ', सरोजिनी नायडू मार्ग, लखनऊ - 226001
फ़ोन : 91-522-2239969 / 2238436 / 40,
फैक्स : 91-522-2239967/2239968
ईमेल : dailynewslko@gmail.com
ई-पेपर : http://www.dailynewsactivist.com

कभी अलविदा ना कहना
कभी अलविदा ना कहना
एजेंसी    13 Oct 2024       Email   

पुण्यतिथि 13 अक्टूबर के अवसर पर...

मुंबई। 

.. बीच राह में दिलबर बिछड़ जाये कहीं हम अगर

और सूनी सी लगे तुम्हें जीवन की ये डगर

हम लौट आयेगें तुम यूंही बुलाते रहना

कभी अलविदा ना कहना...


जिंदगी के अनजाने सफर से बेहद प्यार करने वाले हिन्दी सिने जगत के महान पार्श्वगायक किशोर कुमार का नजरिया उनके गाये इन पंक्तियों में समाया हुआ है। मध्यप्रदेश के खंडवा में 04 अगस्त 1929 को मध्यवर्गीय बंगाली परिवार में अधिवक्ता कुंजी लाल गांगुली के घर जब सबसे छोटे बालक ने जन्म लिया तो कौन जानता था कि आगे चलकर यह बालक अपने देश और परिवार का नाम रौशन करेगा। भाई बहनों में सबसे छोटे नटखट आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार का रूझान बचपन से ही पिता के पेशे वकालत की तरफ न होकर संगीत की ओर था।

महान अभिनेता एवं गायक के.एल.सहगल के गानों से प्रभावित किशोर कुमार उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। सहगल से मिलने की चाह लिये किशोर कुमार 18 वर्ष की उम्र मे मुंबई पहुंचे लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पायी। उस समय तक उनके बड़े भाई अशोक कुमार बतौर अभिनेता अपनी पहचान बना चुके थे। अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर नायक के रूप मे अपनी पहचान बनाये लेकिन खुद किशोर कुमार को अदाकारी की बजाय पार्श्व गायक बनने की चाह थी। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हालांकि कभी किसी से नहीं ली थी। बालीवुड में अशोक कुमार की पहचान के कारण उन्हें बतौर अभिनेता काम मिल रहा था।

अपनी इच्छा के विपरीत किशोर कुमार ने अभिनय करना जारी रखा। जिन फिल्मों में वह बतौर कलाकार काम किया करते थे उन्हें उस फिल्म में गाने का भी मौका मिल जाया करता था। किशोर कुमार की आवाज सहगल से काफी हद तक मेल खाती थी। बतौर गायक सबसे पहले उन्हें वर्ष 1948 में बाम्बे टाकीज की फिल्म जिद्दी में सहगल के अंदाज मे हीं अभिनेता देवानंद के लिये ..मरने की दुआएं क्यूं मांगू ..गाने का मौका मिला।किशोर कुमार ने वर्ष 1951 में बतौर मुख्य अभिनेता फिल्म आन्दोलन से अपने करियर की शुरूआत की लेकिन इस फिल्म से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके। वर्ष 1953 मे प्रदर्शित फिल्म लड़की बतौर अभिनेता उनके कैरियर की पहली हिट फिल्म थी। इसके बाद अभिनेता के रूप में भी किशोर कुमार ने अपनी फिल्मों के जरिये दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

किशोर कुमार ने 1964 में फिल्म ..दूर गगन की छांव में .. के जरिये निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने के बाद हम दो डाकू .दूर का राही. बढ़ती का नाम दाढ़ी. शाबास डैडी. दूर वादियों में कहीं. चलती का नाम जिंदगी और ममता की छांव में जैसी कई फिल्मों का निर्देशन भी किया। निर्देशन के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में संगीत भी दिया जिनमें झुमरू. दूर गगन की छांव में. दूर का राही. जमीन आसमान और ममता की छांव में जैसी फिल्में शामिल है। बतौर निर्माता किशोर कुमार ने दूर गगन की छांव में और दूर का राही जैसी फिल्में भी बनायीं।

किशोर कुमार को अपने कैरियर में वह दौर भी देखना पड़ा जब उन्हें फिल्मों में काम ही नहीं मिलता था। तब वह स्टेज पर कार्यक्रम पेश करके अपना जीवन यापन करने को मजबूर थे। बंबई में आयोजित एक ऐसे ही एक स्टेज कार्यक्रम के दौरान संगीतकार ओ.पी.नैयर ने जब उनका गाना सुना तो उन्होंने भावविह्लल होकर कहा ..महान प्रतिभाएं तो अक्सर जन्म लेती रहती हैं लेकिन किशोर कुमार जैसा पार्श्वगायक हजार वर्ष में केवल एक ही बार जन्म लेता है।.. उनके इस कथन का उनके साथ बैठी पार्श्वगायिका आशा भोंसले ने भी सर्मथन किया।

वर्ष 1969 में निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म आराधना के जरिये किशोर कुमार गायकी के दुनिया के बेताज बादशाह बने लेकिन दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के आरंभ के समय संगीतकार सचिन देव वर्मन चाहते थे कि सभी गाने किसी एक गायक से न गवाकर दो गायकों से गवाएं जाएं। बाद में सचिन देव वर्मन की बीमारी के कारण फिल्म आराधना में उनके पुत्र आर.डी.बर्मन ने संगीत दिया। इस फिल्म के लिए..मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू.. और ..रूप तेरा मस्ताना.. गाना किशोर कुमार ने गाया. जो बेहद पसंद किया गया। रूप तेरा मस्ताना गाने के लिये किशोर कुमार को बतौर गायक पहला फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। इसके साथ ही फिल्म आराधना के जरिये वह उन ऊंचाइयों पर पहुंच गये जिनके लिये वह सपनों के शहर मुंबई आये थे।

हरदिल अजीज कलाकार किशोर कुमार कई बार विवादों का भी शिकार हुए। सन 1975 में देश में लगाये गये आपातकाल के दौरान दिल्ली में एक सांस्कृतिक आयोजन में उन्हें गाने का न्यौता मिला। किशोर कुमार ने पारिश्रमिक मांगा तो आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उनके गायन को प्रतिबंधित कर दिया गया। आपातकाल हटने के बाद पांच जनवरी 1977 को उनका पहला गाना बजा ..दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना .जहां नहीं चैना वहां नहीं रहना..।किशोर कुमार को उनके गाये गीतों के लिये आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। किशोर कुमार ने अपने सम्पूर्ण फिल्मी कैरियर मे 600 से भी अधिक हिन्दी फिल्मों के लिये अपना स्वर दिया। उन्होंने बंगला. मराठी. असमी .गुजराती. कन्नड़.भोजपुरी और उड़िया फिल्मों में भी अपनी दिलकश आवाज के जरिये श्रोताओं को भाव विभोर किया।

किशोर कुमार ने कई अभिनेताओं को अपनी आवाज दी लेकिन कुछ मौकों पर मोहम्मद रफी ने उनके लिये गीत गाये थे। इन गीतो में ..हमें कोई गम है तुम्हें कोई गम है ,चले हो कहां कर के जी बेकरार , मन बाबरा निस दिन जाये ,अजब है दास्तां तेरी ये जिंदगी, अपनी आदत हैं सबको सलाम करना शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि मोहम्मद रफी, किशोर कुमार के लिये गीत गाने के वास्ते महज एक रुपया पारिश्रमिक लिया करते थे।

वर्ष 1987 में किशोर कुमार ने निर्णय लिया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा लौट जायेंगे। वह अक्सर कहा करते थे कि ..दूध जलेबी खायेंगे, खंडवा में बस जायेंगे ..लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। उन्हें 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ा और वह इस दुनिया को अलविदा कह गये।






Comments

अन्य खबरें

काशी में सेंट्रल जोनल काउंसिल की बड़ी बैठक, सुरक्षा-विकास पर मंथन
काशी में सेंट्रल जोनल काउंसिल की बड़ी बैठक, सुरक्षा-विकास पर मंथन

वाराणसी: वाराणसी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंगलवार को सेंट्रल जोनल काउंसिल की अहम बैठक शुरू हुई। इस बैठक में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री

काशी में सेंट्रल जोनल काउंसिल की बड़ी बैठक, सुरक्षा-विकास पर मंथन
काशी में सेंट्रल जोनल काउंसिल की बड़ी बैठक, सुरक्षा-विकास पर मंथन

वाराणसी: वाराणसी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंगलवार को सेंट्रल जोनल काउंसिल की अहम बैठक शुरू हुई। इस बैठक में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री

ईरान-इजरायल युद्ध का असर: लखनऊ एयरपोर्ट से मिडिल ईस्ट की उड़ानें प्रभावित, यात्रियों के लिए अलर्ट जारी
ईरान-इजरायल युद्ध का असर: लखनऊ एयरपोर्ट से मिडिल ईस्ट की उड़ानें प्रभावित, यात्रियों के लिए अलर्ट जारी

लखनऊ। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर अब हवाई सेवाओं पर भी दिखने लगा है। लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से खाड़ी देशों (मिडिल ईस्ट) की ओर जाने वाली कई उड़ानों में रुकावट

अदवा नदी में मछली पकड़ रहे लोग वन विभाग की टीम देखकर भागे
अदवा नदी में मछली पकड़ रहे लोग वन विभाग की टीम देखकर भागे

हलिया (मिर्ज़ापुर): थाना क्षेत्र के अदवा नदी में सोमवार को जाल डालकर मछली पकड़ रहे लोग वन विभाग की टीम को देखकर भागे वन विभाग की टीम ने अबैध रूप से नदी नालो में मछली पकड़ने वाले लोगो को सख्त लहजे में