नयी दिल्ली.... उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के वडोदरा में नाव दुर्घटना पीड़ितों के लिए 1.2 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि छह सप्ताह के भीतर संबंधित परिजनों को तर्कसंगत आधार पर वितरित करने का मंगलवार को आदेश दिया।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि ये राशि 18 जनवरी, 2024 को हुई नाव दुर्घटना में मारे गए 12 बच्चों और 2 शिक्षकों के परिजनों को वितरित की जाए। हरनी झील पर काम करने वाली ठेकेदार कंपनी मेसर्स कोटिया प्रोजेक्ट्स द्वारा जमा की गई 1.2 करोड़ रुपये से अधिक की राशि में से भुगतान न करे।
शीर्ष अदालत ने इस संबंध में गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें संबंधित ठेकेदार को दुर्घटना के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी ठहराया गया था। पीठ ने याचिकाकर्ता फर्म के वरिष्ठ अधिवक्ता का बयान दर्ज किया कि उन्होंने वडोदरा के उप-कलेक्टर के पास 81,99,664 रुपये और 30,74,880 रुपये जमा कर दिए थे और उन्हें शोक संतप्त परिवारों को राशि वितरित करने पर कोई आपत्ति नहीं है।
न्यायालय ने आदेश दिया,“इस दलील पर ध्यान देते हुए, वडोदरा के उप-कलेक्टर मृतक बच्चों के माता-पिता और दोनों दिवंगत शिक्षकों के परिवार के सदस्यों को तर्कसंगत आधार पर उपरोक्त राशि जारी करेंगे।”
सर्वोच्च न्यायालय ने ठेकेदार फर्म को एक बड़ी राहत देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मेसर्स कोटिया प्रोजेक्ट्स को त्रासदी के पीड़ितों के लिए लगभग चार करोड़ रुपये की पूरी अनुग्रह राशि जमा करने का निर्देश दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने ठेकेदार द्वारा उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें फर्म को दुर्घटना के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी ठहराया गया था। साथ ही, बीमा प्रदाताओं और संयुक्त उद्यम भागीदारों को शामिल करने की उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था।
गुजरात सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि नाव दुर्घटना मामलों में वित्तीय सहायता से संबंधित किसी विशिष्ट कानून के अभाव में अनुग्रह राशि की गणना मोटर वाहन अधिनियम के सिद्धांतों का उपयोग करके की गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने कोटिया प्रोजेक्ट्स को इस त्रासदी के वित्तीय मदद से संबंधित चल रही जनहित याचिका में अपने संयुक्त उद्यम भागीदारों और बीमा कंपनी को सह-प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की भी अनुमति दी।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि यदि ऐसी कोई पक्षकार बनाने की अर्जी दी जाए तो उसे स्वीकार किया जाए।
गुजरात उच्च न्यायालय ने 17 फ़रवरी, 2025 को कोटिया प्रोजेक्ट्स को 3.5 करोड़ रुपये से अधिक की अनुग्रह राशि जमा करने का निर्देश दिया था। वडोदरा नगर निगम ने हरनी झील के विकास और संचालन का कार्य कोटिया प्रोजेक्ट्स को दिया था। न्यायालय ने चार किश्तों में चरणबद्ध भुगतान की अनुमति दी, जिसमें 25 प्रतिशत राशि 31 मार्च, 2025 तक और शेष राशि मासिक किश्तों में देय थी।
बाद में फर्म ने एक समीक्षा याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि उसके पूर्व वकील को 25 प्रतिशत से अधिक दायित्व स्वीकार करने का कोई अधिकार नहीं था।
उच्च न्यायालय ने हालांकि नौ मई 2025 को पुनर्विचार याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह आदेश स्वतंत्र न्यायिक तर्क पर आधारित था, न कि केवल अधिवक्ता के बयान पर।