नयी दिल्ली.... निजी क्षेत्र के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और श्रमिकों ने ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति के बैनर तले न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर सोमवार को राजधानी में जंतर-मंतर पर एक विशाल धरना-प्रदर्शन आयोजित किया। इसमें देशभर से आये बड़ी संख्या में पेंशनभोगी शामिल हुये।
पेंशनभोेगियों ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर कई केंद्रीय मंत्री पेंशनभोगियों से मुलाकातों के दौरान 1,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये करने, महंगाई भत्ता देने और मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार करने का बार-बार आश्वासन दे चुके हैं। इसके बावजूद अब तक कुछ नहीं किया गया है।
संघर्ष समिति के नेताओं ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे को अनेक बार उठाया जा चुका है और इस संबंध में संसदीय समिति भी पेंशन वृद्धि की सिफारिश कर चुकी है, लेकिन सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले रही है।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कमांडर अशोक राउत ने कहा, “ हमने अब तक संयम बरता है। पर अब सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया, तो देशभर के पेंशनभोगी लोकतांत्रिक तरीक़े से अपनी आवाज़ को आम जतना से लेकर सांसदों के बीच उठाएंगे तथा सरकार को जवाब देना होगा। एक न्यायोचित न्यूनतम पेंशन की मांग हमारे आत्मसम्मान और अधिकार की लड़ाई
है। ”
इस अवसर पर पुणे से निर्वाचित सांसद श्रीरंग अप्पा बारणे, सीकर (राजस्थान) सीट के प्रतिनिधि अमराराम और बाराबंकी सीट से सांसद तनुज पुनिया धरना स्थल पर पहुंचे और आंदोलन को अपना नैतिक समर्थन दिया।
पेंशनभोगियों का कहना है कि वे बीते 10 वर्षों से न्यूनतम पेंशन वृद्धि की मांग को लेकर देशभर में लगातार आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन सरकार की लगातार उपेक्षा और संवेदनहीनता अब असहनीय हो गयी है।
धरने को संघर्ष समिति के राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र सिंह राजावत, राष्ट्रीय समन्वयक रमाकांत नरगुंद, महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव सरिता ताई नरखेडे, महाराष्ट्र के समन्वयक सुभाष पोखरकर, राष्ट्रीय सचिव रमेश बहुगुणा और देश के विभिन्न राज्यों की इकाइयों के अध्यक्षों और वरिष्ठ पदाधिकारियों ने संबोधित किया।