नयी दिल्ली... उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों से“किसी भी तरह से कमतर’ नहीं हैं।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा, “हमने देखा है कि आजकल वकीलों के बीच उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों के न्यायाधीशों की बिना किसी कारण के आलोचना करना एक चलन बन गया है।''
पीठ ने कहा,“हालांकि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के निर्णयों को संशोधित कर सकते हैं, लेकिन उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर उसका कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है।”
शीर्ष अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को भी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के समान ही छूट प्राप्त है।
शीर्ष अदालत 29 जुलाई, 2025 को एन पेड्डी राजू के खिलाफ स्वतः संज्ञान दायर एक अवमानना याचिका पर विचार कर रही थी, क्योंकि उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम के तहत एक आपराधिक मामले को खारिज करने वाले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ कथित तौर पर पक्षपात और अनुचितता का आरोप लगाया था।
न्यायालय ने एक वादी और उसके वकीलों को तेलंगाना उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश से बिना शर्त माफ़ी मांगने का निर्देश दिया, जिनके खिलाफ उन्होंने ‘अपमानजनक आरोप’ लगाए थे।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े द्वारा दी गई ‘बिना शर्त और बिना शर्त माफी’ पर विचार करते कहा कि इसे एक सप्ताह के भीतर संबंधित उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समक्ष दायर किया जाना चाहिए, जो इसके बाद एक सप्ताह के भीतर इस पर निर्णय लेंगे।