नयी दिल्ली... उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में दाखिले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए निर्धारित आरक्षण में आय के आधार (क्रीमी लेयर) प्राथमिकता देने की मांग संबंधी जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस किया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने रमाशंकर प्रजापति और यमुना प्रसाद की ओर से दायर याचिका पर विचार करने पर सहमति जताते हुए सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा।
याचिका में आय के आधार पर आरक्षण का लाभ देने के लिए संवैधानिक सुधार लागू करने के निर्देश देने की मांग की गई है। इसमें पात्र समुदायों के सबसे गरीब लोगों को पहली वरीयता के आधार पर लाभ पहुंचाने की गुहार लगाई है।
याचिका में दलील दी गई है कि आय के आधार पर आरक्षण में प्राथमिकता देने से सबसे अधिक जरूरतमंदों को उनका वास्तविक हक मिलेगा।
याचिका में कहा गया है, “यद्यपि आरक्षण ढांचा शुरू में ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों के उत्थान के लिए शुरू किया गया था, वर्तमान प्रणाली इन समूहों के अपेक्षाकृत समृद्ध आर्थिक स्तर और उच्च सामाजिक स्थिति वाले पृष्ठभूमि के लोगों को असमान रूप से लाभान्वित करती है। इससे आर्थिक रूप से सबसे वंचित लोगों को आरक्षण का लाभ सीमित हो जाता है।”