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वृक्ष ही बचाएंगे हमें
वृक्ष ही बचाएंगे हमें
लोकेंद्र सिंह    05 Jul 2017       Email   

प्रकृति के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना संभव नहीं है। जल-जंगल के बिना जन का जीवन संभव है क्या। साधारण बुद्धि का व्यक्ति भी इस प्रश्न का उत्तर जानता है। लेकिन, लालच से वशीभूत आदमी प्रकृति का संवर्द्धन करने की जगह निरंतर उसका शोषण कर रहा है। हालांकि वास्तविकता यही है कि वह प्रकृति को चोट नहीं पहुंचा रहा है, वरन स्वयं के जीवन के लिए कठिनाइयां उत्पन्न कर रहा है। देर से ही सही अब दुनिया को यह बात समझ आने लगी है। पर्यावरण बचाने के लिए दुनिया में चल रहा चिंतन इस बात का प्रमाण है। भारत जैसे प्रकृति पूजक देश में भी पर्यावरण पर गंभीर संकट खड़े हैं। प्रमुख नदियों का अस्तित्व संकट में है। जंगल साफ  हो रहे हैं। पानी का संकट है। हवा प्रदूषित है। वन्य जीवों का जीवन खतरे में आ गया है। पर्यावरण बचाने की दिशा में गैरसरकारी संगठन और पर्यावरणविद् व प्रेमी व्यक्तिगत स्तर पर कुछ प्रयास कर रहे हैं। लंबे संघर्ष के बाद उनके प्रयासों का परिणाम दिखाई भी दिया है। पर्यावरण के मसले पर समाज जाग्रत हुआ है। प्रकृति के प्रति लोगों को अपने कर्तव्य याद आ रहे हैं। पर्यावरण चिंतकों की ईमानदार आवाजों का ही परिणाम है कि सरकारों ने भी वोटबैंक की पॉलिटिक्स के नजरिए से शुष्क क्षेत्र पर्यावरण पर गंभीरता से ध्यान देना शुरू किया है।
नदी और वन बचाने की दिशा में मध्य प्रदेश सरकार ने सराहनीय पहल की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में पहले मध्य प्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व आंदोलन चलाया गया और अब रिकॉर्ड स्तर पर नर्मदा कछार में पौधरोपण किया गया है। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार का दावा है कि 2 जुलाई को पौधरोपण के महाभियान के तहत प्रदेश में एक दिन में 6 करोड़ 63 लाख से अधिक पौधे रोपे गए हैं। यह पौधे एक लाख 17 हजार 293 स्थानों पर रोपे गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आह्वान पर सरकार और गैरसरकारी संगठनों ने पौधरोपण महाभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। सरकार ने पौधरोपण को उत्सव की तरह आयोजित कर समाज को पर्यावरण बचाने का संदेश दिया है। उल्लेख करना होगा कि यह एक विश्व कीर्तिमान है। अब तक एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में पौधरोपण नहीं किया गया है। इससे पहले उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने नाम एक दिन में पांच करोड़ पौधे लगाने का कीर्तिमान गिनीज बुक ऑफ  वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज था। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रकट करते हुए 11 जुलाई, 2016 को छह हजार से अधिक स्थानों पर 5 करोड़ पौधे लगवाए थे।
अमूमन होता यह है कि सरकारें या स्वयंसेवी संस्थाएं जोर-शोर से बड़े पैमाने पर पौधरोपण करती हैं, लेकिन उनका परिणाम लगभग शून्य ही आता है। दरअसल, पौधे रोप तो दिए जाते हैं लेकिन रोपा गया पौधा सूखे नहीं, इसकी चिंता नहीं की जाती है। यानी पौधरोपण की योजनाएं अक्सर अपूर्ण होती हैं। ऐसे में पौधरोपण खानापूर्ति होकर रह जाते हैं। प्रदेश सरकार ने जब छह करोड़ पौधे लगाने की बात कही, तब सबके मन में यही आशंका थी कि पौधे लग तो जाएंगे, लेकिन बचेंगे कैसे। छह करोड़ पौधों की चिंता कौन करेगा। समर्थ होने तक इन पौधों को पानी कौन देगा। यह अच्छी बात है कि मध्य प्रदेश सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड बनाने के लिए पौधरोपण कर इतिश्री नहीं की है। बल्कि उन्होंने पौधरोपण की पूर्ण योजना बनाई है। अपने इस अभियान में सरकार ने स्वयंसेवी नागरिकों को पौध रक्षक बनाकर रोपे गए पौधों की पेड़ बनने तक रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी है। महात्मा गांधी नरेगा योजना के जॉब कार्डधारी परिवारों को भी पौध रक्षक बनाया गया है। मनरेगा के तहत तय किए गए पौधरक्षकों को पौधे के संधारण व जीवित रखने के लिए तीन से पांच वर्ष तक मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। ग्राम पंचायतों को भी पर्यवेक्षण के लिए राशि का प्रावधान किया गया है। वैसे भी इस प्रकार के समाजोन्मुखी अभियानों की सफलता समाज की सक्रिय सहभागिता के बिना संभव नहीं है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि सरकार के इन प्रयासों के कारण 6 करोड़ 63 लाख में से अधिक से अधिक पौधे पेड़ बन पाएंगे। यदि आधे पौधे भी अपने यौवन को प्राप्त कर लेंगे, तब भी यह सरकार की बड़ी उपलब्धि होगी।
मध्य प्रदेश में नर्मदा कछार में लगाए गए छह करोड़ 63 लाख पौधे निकट भविष्य में मां नर्मदा को सदानीरा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। हम जानते हैं कि नर्मदा नदी का उद्गम किसी ग्लेशियर से नहीं हुआ है। नर्मदा नदी की धारा में बहने वाली जलराशि पेड़ों की जड़ से निकली बूंद-बूंद है। जंगल कम होने के कारण से नर्मदा की धार मंथर और कृषकाय हो गई है। नर्मदा मध्य प्रदेश की जीवनरेखा है। 
यह प्रदेश के लाखों-करोड़ों लोगों का पोषण करती है। इसलिए नर्मदा का स्वस्थ और मस्त रहना जरूरी है। नर्मदा नदी का संरक्षण पेड़ों के अभाव में हो नहीं सकता। इसलिए भी मध्य प्रदेश सरकार के इस निर्णय की सराहना की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने भविष्य में भी इसी प्रकार वृहद स्तर पर पौधारोपण की बात कही है। समाज की साथ लेकर पर्यावरण के संरक्षण की जो पहल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रारंभ की है, उसके दूरगामी परिणाम प्राप्त होंगे। 
नमामि देवी नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह घोषणा की थी कि नर्मदा के संरक्षण के लिए नर्मदा कछार में छह करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। इससे पूर्व सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान आयोजित अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ में भी उन्होंने कहा था कि नर्मदा नदी और पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार नर्मदा सहित प्रदेश की प्रमुख नदियों के किनारे समाज के सहयोग से पौधरोपण कराएगी। उन्होंने पर्यावरण सरंक्षण के प्रति गंभीरता दिखाते हुए अविलंब अपनी घोषणा को धरातल पर उतारकर दिखा दिया है। पौधरोपण के महाभियान में उन्होंने एक और सार्थक व अनुकरणीय विचार प्रस्तुत किया है। मुख्यमंत्री ने अमरकंटक में वृक्षारोपण महाअभियान का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रदेश में अब सार्वजनिक कार्यक्रमों की शुरुआत पौधारोपण व कन्या-पूजन से होगी। यकीनन आज जंगल बचाने की आवश्यकता है। एक शोध के अनुसार, समूची दुनिया में तकरीबन तीन ट्रिलियन पेड़ हैं। देखा जाए तो पूरी दुनिया में हर साल तकरीबन 15 अरब पेड़ काट दिए जाते हैं। मौजूदा हालात गवाह हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत के बाद से दुनिया में पेड़ों की संख्या में 46 फीसदी की कमी आई है। यह स्थितियां किसी भी प्रकार मानव समाज के लिए ठीक नहीं कही जा सकती हैं। एक दावे के मुताबिक, अभी दुनिया में कुल मिलाकर 301 लाख वर्ग किलोमीटर जंगल बचा है, जो दुनिया की धरती का 23 फीसदी हिस्सा है। लेकिन यदि दुनिया में जंगलों के खात्मे की यही गति जारी रही तो 2100 तक समूची दुनिया से जंगलों का पूरी तरह सफाया हो जाएगा। यदि यह दावा सच साबित होता है, तब हमें यह भी मान लेना चाहिए कि जंगलों के साथ हम सब भी खत्म हो जाएंगे। जंगल हैं इसलिए जल है और जल है इसलिए जीवन है। जीवन को बचाना है, तब जंगल को बचाना बेहद जरूरी है।






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