आज रविवार, 6 जुलाई 2025 को पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ देवशयनी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पावन तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में कुल 24 एकादशी आती हैं और देवशयनी एकादशी को उनमें सबसे प्रमुख माना जाता है। इसे 'हरि शयनी एकादशी' भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन से भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
पूजा सामग्री और विशेष भोग
इस दिन भगवान विष्णु को पीले फूल, अपराजिता के फूल, केसर की खीर और पीली मिठाई विशेष रूप से अर्पित की जाती है। व्रती तुलसी के पत्तों के बिना कोई भी भोग नहीं चढ़ाते, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
देवशयनी एकादशी की पूजा विधि
1. प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
2. पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
3. पूजा स्थल पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और शिव-पार्वती की मूर्तियां या चित्र स्थापित करें।
4. देसी घी का दीपक जलाएं और पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें।
5. पीले फूल और माला अर्पित करें, चंदन का तिलक लगाएं।
6. भोग में केसर की खीर, फल और तुलसी पत्र चढ़ाएं।
7. श्री विष्णु सहस्त्रनाम या एकादशी व्रत कथा का पाठ करें और हरि नाम का जाप करें।
8. आरती कर प्रसाद को परिवारजनों में वितरित करें।
9. इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
व्रत पारण का समय
व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन यानी 7 जुलाई 2025 को किया जाएगा। इस दिन सुबह 5:29 बजे से 8:16 बजे के बीच व्रत खोला जा सकता है। इस बार त्रिपुष्कर योग और अनुराधा नक्षत्र का विशेष संयोग भी बन रहा है, जिससे यह तिथि और अधिक शुभ मानी जा रही है।
आज के दिन की गई पूजा, व्रत और उपासना से भक्तों को जीवन में स्थायी सुख, धन-धान्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किया गया पुण्य चार गुना फलदायी माना जाता है।