बच्चे के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या करने वाले को फांसी की सजा
- न्यायाधीश ने कहा! फांसी पर तब तक लटकाये जब तक निकल न जाये अभियुक्त के प्राण
- फैसला सुनाने के बाद न्यायाधीश ने तोड़ी कलम, 42 तारीखों के बाद सुनाया गया फैसला
- विशेष न्यायाधीश पाक्सो प्रथम रामअवतार प्रसाद की अदालत का फैसला
विधि संवाद, गाजीपुर (डीएनएन)। विशेष न्यायाधीश पाक्सो प्रथम रामअवतार प्रसाद की अदालत ने मंगलवार को 8 वर्षीय नाबालिग बच्चे के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म कर हत्या करने के गम्भीर मामले में अभियुक्त को सजा-ए मौत (मृत्युदंड) की सजा सुनने के साथ ही एक लाख अस्सी हजार रुपये के अर्थदंड से दण्डित किया है। यही नहीं अदालत ने अर्थदंड में से 50 प्रतिशत राशि वादी को देने का आदेश दिया है। अभियोजन के अनुसार थाना गहमर के एक गांव निवासी व्यक्ति ने थाने में इस आशय की तहरीर दिया कि उसका 8 वर्षीया लड़का 19 फरवरी 2024 को 3 बजे गांव में फुटबॉल मैच देखने गया था जो वापस घर नहीं आया। जब वादी घर गया तो पता चला उसका लड़का घर नहीं आया है तो वह रात भर उसे खोजा और रिश्तेदारों के यहां भी पता किया। जब उसके पुत्र की कही पता नहीं चला तो वादी परेशान होकर थाने में गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराया। दूसरे दिन गांव की ही सिमरन ने वादी से बताया कि कल संजय नट अपने साथ उसके लड़के को अपने घर की तरफ ले जा रहा था। वादी ने इस खबर को पुलिस को दिया और पुलिस के साथ संजय नट के घर गया। पुलिस ने संजय के घर की जांच पड़ताल शुरू किया तो संजय के घर मे रखे बड़े तीन के बख्से को खोला गया तो बक्से में रखे कपड़े के नीचे एक बोरे में लड़के की लाश मिली। पुलिस ने मौके पर फारेंसिक टीम बुलाकर अग्रिम कार्रवाई कराई और लाश को पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। विवेचना उपरान्त आरोपी के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र 14 मई 2024 को प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने 6 जून 2024 को आरोपी के विरुद्ध चार्ज फ्रेम किया और आरोपी ने विचारण की मांग की। दौरान विचारण अभियोजन की तरफ से विशेष लोक अभियोजक प्रभुनारायण सिंह ने कुल 8 गवाहो को पेश किया। सभी गवाहों ने अपना- अपना बयान न्यायालय में दर्ज कराया। मंगलवार को दोनो तरफ की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने दोषी पाते हुए अभियुक्त संजय नट को धारा 363 आईपीसी में 5 साल के कारावास के साथ ही 10 हजार रुपये के अर्थदंड ,धारा 377 आईपीसी में आजीवन कारावास के साथ ही 20 हजार रुपये के अर्थदंड ,धारा 302 आईपीसी व पॉक्सो एक्ट में मृत्युदंड के साथ ही 1 लाख 50 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित करते हुए कहा कि अभियुक्त संजय नट के गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक उसकी मृत्यु न हो जाये। यह कहते हुए न्यायाधीश ने अपने कलम को तोड़ दिया। मुकदमे में कुल 42 तारीखों के बाद फैसला सुनाया गया।