नयी दिल्ली.... राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि 'आदि कर्मयोगी' योजना के माध्यम से जन भागीदारी योजना को मजबूती मिली है।
श्रीमती मुर्मु ने 'आदि कर्मयोगी अभियान' पर राष्ट्रीय सम्मेलन में शुक्रवार को कहा कि 'आदि कर्मयोगी' के तहत जनजातीय समुदाय के विकास के लिए जो काम किया गया है वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि 'आदि कर्मयोगी अभियान' इस परिवर्तनकारी सोच के साथ शुरु किया गया है कि प्रत्येक आदिवासी गांव आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बने। इस अभियान के माध्यम से यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्र की विकास की यात्रा में आदिवासी समुदाय की भी भागीदारी हो और विकास का लाभ सभी आदिवासी क्षेत्रों और लोगों तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि आदिवासी सदियों से इस देश में रहते हैं लेकिन उनका स्वभाव ऐसा है कि आज आजादी के 75 साल बाद भी आदिवासी उसी जगह पर रह रहे हैं जहां वह पहले थे। यह इसलिये है कि इन समुदायों के लोग स्वभिमान के साथ जीते हैं। वह किसी से कुछ नहीं मांगते नहीं है। बहुत से आदिवासी आईएस, आईपीएस तो बन गये लेकिन बहुत से आदिवासी आज भी उसी स्थान पर रहकर जीवन यापन करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासियों के लिए सोचना सिर्फ सरकार का काम नहीं है। आदिवासियों को भी स्वयं भी अपने बारे में सोचना चाहिए, इसलिए सरकार ने आदि कर्मयोगी योजना शुरू की है।
उन्होंने कहा कि हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि आदिवासी समाज के विकास के लिए काम करना है और आदि कर्मयोगी योजना को सही तरह से लागू करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने जनजातीय क्षेत्र में आधारभूत संरचना बढाने का काम किया है जिसके बेहतर परिणाम सामने आये हैं। आदि कर्मयोगी योजना के माध्यम से जनभागीदारी योजना को मजबूती मिली है। प्रगति के साथ साथ आदिवासी समाज की संस्कृति को भी संरक्षित किया जा रहा है। उनकी भाषा और संस्कृति को बचाना देश का काम है।
इस अवसर परकेंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओरांव ने कहा कि आदिवासी समाज में विश्वास और भरोसा महत्वपूर्ण होता है इसलिए उनका भरोसा जीतना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जनजाति समुदाय से आती है इसलिए वह जनजाति समुदाय की समस्याओं को अच्छी तरह से समझती है। जनजाति समाज बाकी समाज से अलग नहीं है लेकिन इनकी सामाजिक व्यवस्था अलग है इसे समझने की जरूरत है।