नयी दिल्ली... वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की दिल्ली क्षेत्रीय इकाई ने फर्जीवाड़ा करके इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का अनुचित लाभ लेने वाले एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है और मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि दिल्ली के इस सिंडिकेट ने जीएसटी के तहत 229 फर्जी कंपनियों को पंजीकृत कर रखा था और इस नेटवर्क के जरिये धोखाधड़ी करके आईटीसी का अनुचित लाभ उठाता था।
वित्त मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर डीजीजीआई अधिकारियों ने दिल्ली में कई परिसरों में तलाशी अभियान चलाया, जिसमें बड़ी मात्रा में दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और बही-खाते बरामद हुए। इनसे पता चला कि ऐसी अस्तित्वहीन कंपनियां बिना किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति के चालान जारी कर रही हैं।
जांच से पता चला है कि प्रमुख साजिशकर्ता मुकेश शर्मा ने फर्जी संस्थाओं के इस नेटवर्क का संचालन किया था। साक्ष्य जीएसटी पंजीकरण और रिटर्न तथा फर्जी फर्मों के रिकॉर्ड के प्रबंधन, बैंकिंग लेन-देन के प्रबंधन और कई स्तरों के माध्यम से अवैध धन के संचलन को सुगम बनाने में उनकी सक्रिय भूमिका की ओर इशारा करते हैं। मुकेश शर्मा को 11 नवंबर को सीजीएसटी अधिनियम की धारा 132(1)(बी) और 132(1)(सी) के अंतर्गत गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अधिकारियों ने 162 मोबाइल फोन भी बरामद किये जिनका इस्तेमाल संभवतः जीएसटी/ बैंकिंग उद्देश्यों के लिए ओटीपी के लिए किया गया था। इसके अलावा, 44 डिजिटल हस्ताक्षर और विभिन्न फर्मों के 200 से अधिक चेकबुक शामिल थे। शुरुआती जांच से पता चलता है कि ये फर्जी संस्थाएं बिना किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति के चालान जारी करने में लगी हुई थीं, जिसके चलते लगभग 645 करोड़ रुपये की फर्जी आईटीसी धोखाधड़ी से पारित की गयी, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
मंत्रालय ने बताया कि जांच में संभावित धन शोधन का भी पता चला है, जिसमें धोखाधड़ी की आय को कथित तौर पर एक एनजीओ और एक राजनीतिक संगठन के माध्यम से इधर-उधर किया गया।