नई दिल्ली.... बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम आने से एक दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा था- ‘लिख लो, 18 को मैं शपथ लूंगा।’ वह तारीख खूब उछली थी। इतनी कि कुछ लोग 18 नवंबर की तैयारी में भी जुट गए थे। लेकिन, एग्जिट पोल के समय एकजुट दिखाया जा रहा परिवार बिहार चुनाव का परिणाम आने के अगले दिन ही टूटा-बिखरा नजर आया। किसी की पुष्टि के बगैर ही परिवार की कई कहानियां चल रहीं, जो रोहिणी आचार्य की बातों से मेल खा रही। लेकिन, एक बात यह साफ हो गई है कि चुनाव परिणाम के बाद बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव की ताजपोशी भले न हो पायी, परिवार में हंगामे के कारण घर के अंदर वह खुद ‘मुखिया’ भी बन गए और नौ भाई-बहनों के बीच अकेले ‘शेष’ रह गए। वजह सिर्फ इस चुनाव परिणाम को देख रहे, तो गलत है। कई ‘रसायनों का प्रयोग’ चल रहा था, बस विस्फोट का संयोग यह चुनाव परिणाम बना।
लालू प्रसाद यादव रिटायर हो चुके हैं, यह उन्होंने अपने दूसरे बेटे तेजस्वी यादव को समकक्ष की शक्ति देते हुए बता दिया था। वह राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष तो फिर से बन गए, लेकिन अब उनकी चल नहीं रही है। अगर चलती तो उनकी बेटियां इस तरह रोती-बिलखती बाहर नहीं निकलतीं। लालू परिवार के अंदर राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई उसी दिन शुरू हो गई थी, जब बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पहली महागठबंधन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने थे।