नई दिल्ली ... भारत के सुप्रीम कोर्ट में इस बार संविधान दिवस का आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया, जहां विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ जज विशेष रूप से शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट में आयोजित इस समारोह में विदेशों से आए न्यायिक प्रतिनिधियों ने न केवल न्यायिक कार्यवाही को करीब से देखा, बल्कि भारत की कानूनी परंपराओं और संवैधानिक मजबूती की खुलकर प्रशंसा भी की। बुधवार को हुए इस आयोजन में मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
संविधान दिवस के मौके पर विदेशी न्यायाधीशों ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का अवलोकन किया और भारत की न्यायिक प्रणाली को दुनिया के सबसे मजबूत मॉडल में से एक बताया। कार्यक्रम में भूटान, केन्या, मॉरीशस और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश शामिल हुए। सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि यह अवसर ऐतिहासिक है, क्योंकि इस बार राष्ट्रपति भी इस आयोजन में शामिल हो रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी विदेशी अतिथियों का स्वागत किया और भारतीय न्याय व्यवस्था की गरिमा को रेखांकित किया। मॉरीशस की पहली महिला चीफ जस्टिस रेहाना बीबी मुंगल्ली-गुलबुल ने भारत की न्यायिक व्याख्याओं को अपने देश की कानूनी प्रणाली की महत्वपूर्ण आधारशिला बताया। उन्होंने कहा कि भारत के फैसले मॉरीशस की अदालतों को दिशा देते हैं। केन्या की मुख्य न्यायाधीश मार्था के. कूमे ने कहा कि उनका देश भारत की कानूनी विरासत और न्यायिक कार्यप्रणाली से निरंतर सीखता है। उन्होंने रूल ऑफ लॉ को मजबूत बनाए रखने के लिए भारत के साथ साझेदारी जारी रखने की बात कही। भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योंपो नॉर्बू त्शेरिंग, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर के पूर्व छात्र रह चुके हैं, ने भारत को ‘बहुत कुशल, पेशेवर और संसाधनों से समृद्ध देश बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में 106 संशोधन हो चुके हैं, फिर भी उसकी मूल संरचना कायम है। श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश प्रीति पदमन सुरसेना ने दोनों देशों की कानूनी और सांस्कृतिक समानताओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत और श्रीलंका न्याय और परंपराओं के साझा मूल्यों से जुड़े हैं। वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने विदेशी न्यायाधीशों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और इन देशों के बीच औपनिवेशिक इतिहास और स्वतंत्रता संघर्ष से जुड़ी साझा स्मृतियाँ हैं। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान और न्यायिक अभियान दुनिया के कई देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। सुप्रीम कोर्ट में विदेशी न्यायाधीशों की मौजूदगी न केवल न्यायिक सहयोग को मजबूत बनाती है, बल्कि वैश्विक न्याय व्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करती है। संविधान दिवस, जिसे राष्ट्रीय विधि दिवस भी कहा जाता है, हर साल 26 नवंबर को भारत के संविधान के 1949 में अंगीकरण की याद में मनाया जाता है। इस साल यह आयोजन विशेष रहा क्योंकि इसमें भारत के राष्ट्रपति भी शामिल हुए और कई देशों के शीर्ष न्यायाधीश पहली बार सुप्रीम कोर्ट में एक साथ उपस्थित थे।