नई दिल्ली ... देश में विपक्षी दलों और लोगों के भारी विरोध के बाद दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने सभी मोबाइल फोन में संचार साथी एप पहले से इंस्टॉल करने का अपना आदेश वापस ले लिया है। लेकिन, इसका नतीजा यह हुआ कि जो एप पहले नजरअंदाज किया जा रहा था। अब वह ऐप सुर्खियों में आ गया है। सेंसर टावर के ताज़ा डेटा के विश्लेषण में सामने आता है, संचार साथी एप की लोकप्रियता तेजी से बढ़ गई है। 29 नवंबर तक यह एप भारत में सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाली लिस्ट में 127 वें नंबर पर था, लेकिन महज तीन दिनों में दो दिसंबर को यह एपल एप स्टोर पर गूगल जेमिनाई और चैट जीपीटी जैसे बड़े प्लेटफॉर्म को पछाड़कर नंबर-1 पर पहुंच गया। इसमें खास बात यह है कि सरकार ने तीन दिसंबर को प्री-इंस्टॉल करने आदेश वापस ले लिया, इसके बावजूद ऐप अभी भी शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि संचार साथी एप को लेकर अचानक बढ़ी दिलचस्पी की वजह गोपनीयता पर छिड़ी बहस है। प्राइवेसी से जुड़े संभावित खतरे सामने आने के बाद लोगों में एप को लेकर जिज्ञासा बढ़ी और इसका सीधा असर डाउनलोड संख्या पर दिखा। इसी बीच कुछ विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार के निर्देश का समर्थन दिखाने के लिए भाजपा समर्थकों ने भी बड़ी संख्या में एप डाउनलोड किए था।