नयी दिल्ली ...... लोकतांत्रिक और मानवीय अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम करने वाले दिल्ली के संगठन सेंटर फॉर डेमॉक्रेसी , प्लयूरालीज्म एंड ह्यूमन राइट्स ने बंगलादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की उन्मादी भीड़ के हाथों हत्या को वहां मानवाधिकार और न्यायतंत्र की स्तब्धकारी विफलता बताया है।
संगठन की अध्यक्ष डॉ प्रेरणा मल्होत्रा ने एक बयान में कहा है , ' भीड़ के हाथों दीपू चन्द्र दास की पीट-पीट कर की गयी यह हत्या अपवाद नहीं है। यह हिन्दुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बढ़ती और अत्यन्त चिन्ताजनक हिंसा-प्रवृत्ति का ही एक भाग है, जो अगस्त 2024 में पूर्ववर्ती सरकार के अपदस्थ होने के पश्चात् और अधिक तीव्र हुई है।" बयान में विश्वसनीय शिकायतों के हवाले से कहा गया है कि 2024 में बंगलादेश में हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा की लगभग 2,200 घटनाएँ दर्ज की गईं, जो वर्ष 2023 में वहां ऐसी 302 तथा 2022 की मात्र 47 घटनाओं की तुलना में अत्यधिक वृद्धि को दर्शाती हैं। इन घटनाओं में शारीरिक हमले, धमकियाँ, मन्दिरों को अपवित्र करने तथा भीड़-आधारित आक्रमण की घटनाएं शामिल हैं।
डॉ मल्होत्रा ने कहा कि मयमनसिंह जनपद के भालुका क्षेत्र के 25 वर्षीय दीपू चन्द्र दास को उन्मादी भीड़ ने कथित तौर पर ईशनिन्दा का आरोप लगाते हुए पीट-पीटकर मार डाला । एक परिधान कारखाने में काम करने वाले इस युवक के शव को उन्मादियों ने एक वृक्ष से लटका कर आग लगा दी थी। यह भयावह घटना राजनीतिक कार्यकर्ता शरीफ उस्मान हादी की मृत्यु के उपरान्त उत्पन्न राष्ट्रव्यापी अशांति के वातावरण में घटित हुई।
डॉ मल्होत्रा ने इस बात को खेदजनक बताया कि जहाँ अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने कट्टर इस्लामवादी छात्र नेता उस्मान हादी की मृत्यु की तीव्र निन्दा की है, वहीं दीपू चन्द्र दास की हत्या पर पर किसी भी प्रमुख मानवाधिकार संस्था की ओर से एक भी स्पष्ट निन्दा-वक्तव्य सामने नहीं आया है।