नयी दिल्ली... राजधानी में हवा की बिगड़ती गुणवत्ता के बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज निर्देश दिया कि "एयर प्यूरीफायर' पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को कम करने या तर्कसंगत बनाने के मुद्दे को जल्द से जल्द विचार के लिए जीएसटी परिषद के समक्ष रखा जाए।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में गंभीर वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव और इस बात की जांच करने की आवश्यकता पर संज्ञान लिया कि क्या एयर प्यूरीफायर पर कम जीएसटी दर लागू होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि एयर प्यूरीफायर स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें 'चिकित्सा उपकरण' के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, जिससे मौजूदा 18 प्रतिशत के बजाय 5 प्रतिशत की रियायती जीएसटी दर लागू हो सके।
कार्यवाही के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि जीएसटी दरों से संबंधित निर्णय जीएसटी परिषद के नीतिगत दायरे में आते हैं, जो केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों वाला एक संवैधानिक निकाय है।
उत्तरदाताओं ने बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशें पहले से ही विचाराधीन हैं, जिन्होंने एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी को कम करने या समाप्त करने का सुझाव दिया है। औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत जारी 11 फरवरी 2020 की अधिसूचना की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया, जो 'चिकित्सा उपकरणों' की परिभाषा को व्यापक बनाती है ताकि रोग के निदान, रोकथाम, निगरानी या उन्हें रोकने के साथ-साथ जीवन को सहारा देने या बनाए रखने के लिए जरूरी उपकरणों को शामिल किया जा सके।
अदालत ने इस दलील पर ध्यान दिया कि अत्यधिक वायु प्रदूषण के दौरान सांस संबंधी स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के कारण 'एयर प्यूरीफायर' उक्त अधिसूचना के दायरे में आ सकते हैं।
पीठ ने दलीलों और संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों पर संज्ञान लेते हुए टिप्पणी की कि हालांकि वह कानूनी ढांचे और जीएसटी परिषद के कामकाज के प्रति सचेत है, लेकिन मौजूदा वायु प्रदूषण संकट इस मुद्दे पर तत्काल विचार करने की मांग करता है। तदनुसार अदालत ने निर्देश दिया कि मामले को जल्द से जल्द जीएसटी परिषद के समक्ष रखा जाए और इस मुद्दे पर विचार करने के लिए बैठक बुलाने की समय सीमा के संबंध में निर्देश मांगे।
मामले को जनवरी के अंतिम सप्ताह में अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जब उत्तरदाताओं से अदालत को उसके निर्देशों के अनुरूप उठाए गए कदमों से अवगत कराने की उम्मीद है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद नायर और अधिवक्ता कपिल मदान पेश हुए। अधिवक्ता गुरमुख सिंह अरोड़ा और राहुल मथारू ने यह जनहित याचिका दायर की है।