नयी दिल्ली.... भारत की विविध संस्कृति और भाषाओं का सम्मान करने के लिए 18वीं लोकसभा का हाल ही में संपन्न हुआ शीतकालीन सत्र बहुत खास रहा, जिसमें सांसदों ने संविधान की अनुसूची आठ में डाली गयीं 22 भाषाओं में समानांतर अनुवाद सेवा का इस्तेमाल किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पहल के लिए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला और सदस्यों को बधाई दी है।
लोक सभा सचिवालय की ओर से उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार संबोधनों के समानान्तर भाषान्तर की इस सेवा के तहत सांसद अपनी भाषा में बोल सकते हैं और बाकी लोग उसे अपनी पसंद की भाषा में सुन सकते हैं। यह सेवा श्री बिरला ने 19 अगस्त को शुरू की थी।
श्री मोदी ने इस पहल की बहुत सराहना की है और कहा है कि यह भारत की बहुभाषी विरासत को मनाने का एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि भारत की भाषाओं और संस्कृतियों की विविधता हमारी ताकत है। प्रधानमंत्री ने सांसदों और लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को इस काम के लिए बधाई दी है और कहा है कि अब सांसद अपनी मातृभाषा में भाषण दे सकते हैं। इससे सांसदों के विचार लोगों तक आसानी से पहुंचेंगे और संसद में हर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व होगा।
श्री बिरला कई बार कह चुके हैं कि यह पहल संविधान की भावना के अनुसार है, क्योंकि संविधान क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को मानता है। हर भाषा का अपना इतिहास, संस्कृति और पहचान है, और इसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी जानी चाहिए।
इस पहल को राजनीतिक नेताओं और समाज ने बहुत सराहा। इससे संसद की चर्चाएं और भी समावेशी तथा समझने में आसान होंगी। सांसद अपनी सबसे अच्छी भाषा में बोलकर बहस को ज्यादा असरदार और स्पष्ट बना पाएंगे। यह कदम उस समय आया है, जब माता-पिता, स्कूल और सरकार अपनी भाषाओं को पढ़ाई, मीडिया और कामकाज में ज्यादा महत्व दे रहे हैं। देश यह दिखा रहा है कि विविधता हमारी ताकत है और इसे अपनाना चाहिए।