नई दिल्ली ... असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया कि राज्य की कुल जनसंख्या में से 40 फीसदी बांग्लादेशी मुस्लिम हैं। उन्होंने कहा कि साल 2027 में होने वाली जनगणना से ये स्पष्ट भी हो जाएगा। गुवाहाटी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य की जनसांख्यिकी को लेकर चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा, ‘2027 की जनगणना से पता चल जाएगा कि असम में रहने वाली कुल आबादी में से 40 फीसदी जनसंख्या बांग्लादेशी मुसलमानों की है।’
सीएम सरमा ने कहा, ‘2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 34 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी, अगर हम कहें कि 3 फीसदी असमी मुस्लिम थे, तो बांग्लादेशी मूल के मुस्लिमों की जनसंख्या करीब 34 प्रतिशत थी। 2021 में कोई जनगणना नहीं हुई। 2027 में जब जनगणना होगी तो बांग्लादेशी मूल के मुस्लिमों की जनसंख्या 40 प्रतिशत के करीब होगी। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान भी यही बात कही थी और कहा कि असम एक बारूद के ढेर पर बैठा है, जहां बांग्लादेशी मूल के लोगों की आबादी 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है। सरमा ने कहा कि चिंताजनक बात ये है कि इन लोगों को भारत में अब वैधता मिल चुकी है। राज्य की मूल पहचान खतरे में है। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ असम बल्कि पूरे देश की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय हो सकता है। असम के मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे वक्त सामने आया है, जब उनकी सरकार ने राज्य में अवैध अप्रवासियों के खिलाफ बिना किसी समझौते के सीधी कार्रवाई करने की नीति अपनाई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सभी डिप्टी कमिश्नर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे अवैध अप्रवासियों और ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें और उन्हें निष्कासित करें। पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) सहित प्रवर्तन एजेंसियां उन्हें बांग्लादेश प्रत्यर्पित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगी ।
कोलकाता में हिंदू संगठनों की बांग्लादेश डिप्टी हाई-कमीशन तक रैली
बांग्लादेश में हिंदू युवकों की हत्या और अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों के विरोध में देशभर में प्रदर्शन जारी हैं। शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हिंदू संगठनों ने बांग्लादेश डिप्टी हाई कमीशन तक रैली निकाली और उसके सामने प्रदर्शन किया। इस रैली में बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी भी 1000 साधु-संतों के साथ शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान कई संत डिप्टी हाई कमीशन के बाहर धरने पर बैठ गए। स्थिति को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने छह सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। मांगों में दीपु चंद्र दास की लिंचिंग के दोषियों और लापरवाह पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा देने, अल्पसंख्यक समुदाय और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई शामिल है। दरअसल बांग्लादेश के ढाका में 18 दिसंबर को दीपू चंद्र दास और 24 दिसंबर को बांग्लादेश के राजबाड़ी अमृत मंडल नाम के युवकों की भीड़ ने हत्या कर दी थी। अमृत को भीड़ ने जबरन वसूली के आरोप में मार डाला।