जी20 शिखर सम्मेलन को प्रधानमंत्री मोदी ने किया संबोधित, विकास के नए मॉडल की वकालत की, कहा
नई दिल्ली .... मोदी ने कहा जी20 समिट में विकास के नए पैमाने तय करने चाहिए। उन्होंने भारतीय दर्शन इंटीग्रल ह्यूमनिज्म को रास्ता बताते हुए कहा कि इंसान, समाज और प्रकृति तीनों को एक इकाई मानकर आगे बढ़ना होगा।
वहीं जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर कई पोस्ट किए हैं, उन्होंने लिखा जोहानिसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में हुए जी20 शिखर सम्मेलन के पहले सत्र में मैंने हिस्सा लिया। यह सत्र समावेशी और सतत विकास पर केंद्रित था। अफ्रीका पहली बार जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, ऐसे में अब सही समय है कि हम अपने विकास के मापदंडों को फिर से सोचें और ऐसा विकास चुनें जो सबको साथ लेकर चले और धरती के संतुलन को बनाए रखे। भारत के प्राचीन विचार, खासकर समग्र मानववाद का सिद्धांत, हमें आगे का रास्ता दिखाता है।
मैंने कुछ ठोस सुझाव रखे ताकि सर्वांगीण विकास का सपना सच हो सके। सबसे पहले जी20 ग्लोबल ट्रेडिशनल नॉलेज रिपॉजिटरी बनाने का प्रस्ताव। भारत के पास पारंपरिक ज्ञान का विशाल खजाना है। यह पहल हमारी सामूहिक बुद्धि को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने में मदद करेगी और बेहतर स्वास्थ्य व जीवनशैली का मार्ग खोलेगी। अफ्रीका की प्रगति, दुनिया की प्रगति है। भारत हमेशा अफ्रीका के साथ खड़ा रहा है। मुझे गर्व है कि भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान ही अफ्रीकन यूनियन को जी20 में स्थायी सदस्यता मिली। इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, भारत ने जी20 अफ्रीका कौशल गुणक पहल का प्रस्ताव रखा है। हमारा सामूहिक लक्ष्य होना चाहिए कि आने वाले दस वर्षों में अफ्रीका में 10 लाख प्रमाणित प्रशिक्षकों को तैयार किया जाए। भारत ने जी20 वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया टीम बनाने का भी सुझाव दिया है। स्वास्थ्य संकटों और प्राकृतिक आपदाओं का सामना हम मिलकर ही बेहतर कर सकते हैं। अफ्रीका की धरती पर आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक विकास के पैमानों को नए सिरे से सोचने की जरूरत पर जोर दिया। ‘सबको साथ लेकर समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जी20 ने भले ही दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को दिशा दी हो, लेकिन मौजूदा विकास मॉडल ने बड़ी आबादी को संसाधनों से दूर रखा है और प्रकृति के अत्यधिक दोहन को बढ़ावा दिया है।