नई दिल्ली ..... आपातकालीन स्थिति में तैयारियों का आकलन करने के लिए उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल, एन.डी.आर.एफ. और सिविल अथॉरिटीज द्वारा संयुक्त मॉक अभ्यास आयोजित किया गया । शुक्रवार को उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने 8वीं बटेलियन, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के साथ किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सयुंक्त मोक अभ्यास का आयोजन किया है। दुर्घटना स्थल गाजियाबाद मैकेनिकल सिक लाइन बनाया गया था, जहां एक कोच को बेपटरी किया गया। रेलवे कंट्रोल कार्यालय ने तुरंत सेल्फ प्रोफेल्ड एक्सीडेंट रिलीफ मेडिकल वैन (एसपीएआरएमवी), एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन (एआर.टी), रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), सिविल डिफेंस और गवर्मेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी), एनडीआरएफ. और सिविल अथॉरिटीज को दुर्घटनास्थल पर जाने के लिए सूचित किया। सभी टीमें एवं एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंचीं। बिनय कुमार झा, अपर मंडल रेल प्रबंधक (परिचालन) दिल्ली मंडल, वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी और दिल्ली मंडल के अन्य अधिकारी भी तत्काल दुर्घटना स्थल पर पहुंच गए। सभी संबंधित विभागों के मदद से तुरंत मिनी-कंट्रोल स्थापित किया गया। सबसे पहले एन.डी.आर.एफ. और सिविल डिफेन्स की बचाव टीमों ने कोच में यात्रियों की संख्या, लोकेशन और उनके निकासी विकल्पों का विश्लेषण करने के लिए सिंगल एंट्री पॉइंट (वेस्टिब्यूल से) से पलटे हुए कोच में प्रवेश किया। जहां भी संभव हो सका यात्रियों को कोच के अंदर प्राथमिक उपचार दिया गया। ए.आर.टी. और एनडीआरएफ टीमों ने यात्रियों को निकालने के लिए रास्ता बनाने के लिए कोल्ड कटिंग/अब्रेसिव कटिंग की विधि अपनाई।
मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर फ़ेक और डीप फ़ेक्स खबरों पर लगेगा अंकुश
नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत संरक्षित है। मीडिया के सभी मंचों पर बढ़ती फर्जी, झूठी और भ्रामक सूचनाओं तथा एआई निर्मित डीप फ़ेक्स की बढ़ती घटनाओं से सरकार अवगत है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। फर्जी खबरों (फ़ेक न्यूज़) को आमतौर पर ऐसी सूचना के रूप में समझा जाता है जो सच्ची घटनाओं की जानकारी न हों या भ्रामक हों और जिन्हें समाचार के रूप में प्रस्तुत किया जाता हो। विभिन्न मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर ऐसी हानिकारक समाचार सामग्री को रोकने के लिए पहले से ही एक व्यापक विधिक और संस्थागत ढांचा मौजूद है। टीवी चैनल केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के अंतर्गत प्रसारण संबंधी कार्यक्रम संहिता का पालन करते हैं। यह अधिनियम अश्लील, किसी की मानहानि करने वाली, जान बूझकर बनाई गई झूठी सामग्री, या संकेतात्मक दोअर्थी बातें और अधूरे सत्य वाली सामग्री को प्रतिबंधित करता है। इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियम, उल्लंघनों से जुड़े मामलों का निपटारा करने के लिए तीन-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करते हैं।
रेल सुरक्षा रिकॉर्ड सुधार में वृद्धि
नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय रेल में यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। किसी भी असामान्य घटना की रेलवे प्रशासन द्वारा गहन जांच की जाती है। तकनीकी कारणों के अलावा किसी अन्य कारण की आशंका होने पर राज्य पुलिस की सहायता ली जाती है। कुछ मामलों में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से भी मार्गदर्शन लिया जाता है। हालांकि, जांच का प्राथमिक माध्यम राज्य पुलिस ही है। यह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है। इसके अंतर्गत आपराधिक गतिविधियों की जांच, कानून व्यवस्था बनाए रखना और पटरियों, पुलों, सुरंगों आदि रेलवे के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। वर्ष 2023 और 2024 में रेलवे ट्रैक से छेड़छाड़/तोड़फोड़ की सभी घटनाओं में, राज्यों की पुलिस/जीआरपी और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा मामले दर्ज किए गए। इसके बाद जांच, अपराधियों की गिरफ्तारी की गई और उन पर मुकदमा चलाया गया। रेलवे द्वारा राज्य पुलिस/जीआरपी के साथ बेहतर समन्वय, ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए समन्वित कार्रवाई और निगरानी के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं। चिन्हित संवेदनशील क्षेत्रों और असुरक्षित इलाकों में रेलकर्मियों, रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ), जीआरपी और सिविल पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से लगातार गश्त की जा रही है। केंद्रीय और राज्य खुफिया एजेंसियों के अलावा, आरपीएफ की खुफिया इकाइयां, यानी सीआईबी और एसआईबी को नियमित रूप से जागरूक किया जाता है और उन्हें निर्देश दिए जाते हैं कि वे खुफिया जानकारी एकत्र करें और पुलिस अधिकारियों के समन्वय से तोड़फोड़ के प्रयासों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें। ट्रेन संचालन में सुरक्षा सुधारने के लिए भारतीय रेल द्वारा कई उपाय किए गए हैं। पिछले कुछ वर्षों में उठाए गए विभिन्न सुरक्षा उपायों के परिणामस्वरूप, दुर्घटनाओं की संख्या में भारी कमी आई है।