नई दिल्ली .... दिल्ली में आयोजित एयर फोर्स कमांडर्स कॉन्क्लेव में गुरुवार को रक्षा मंत्री ने भाग लिया। उन्होंने वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से मिले रणनीतिक और ऑपरेशनल संबंधी सबक को ध्यान में रखकर भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहें। रक्षा मंत्री ने वायुसेना को तकनीकी रूप से उन्नत, रणनीतिक रूप से आत्मविश्वासी और हर परिस्थिति में प्रभावी प्रतिक्रिया देने वाली फोर्स बताया। कॉन्क्लेव में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह और वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। जब पाकिस्तान ने भारतीय ठिकानों को निशाना बनाने की असफल कोशिश की, तब आम लोग शांत रहे और सामान्य गतिविधियां जारी रहीं। यह भारतीय जनता के अपनी सेनाओं पर भरोसे को दिखाता है। ऐसी स्थिति में लोगों का संयम देश की तैयारी और क्षमता पर विश्वास को दर्शाता है। रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास संघर्ष, बालाकोट एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर से स्पष्ट है कि आधुनिक युद्ध में एयर पावर केवल सामरिक नहीं, बल्कि रणनीतिक साधन बन चुकी है। इसकी ताकत गति, आश्चर्य और त्वरित प्रभाव में है, जिससे राजनीतिक नेतृत्व को भी स्पष्ट संदेश देने में मदद मिलती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित ‘सुदर्शन चक्र’ को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। यह सिस्टम भारत की लेयर्ड एयर डिफेंस क्षमता को मजबूत करेगा। इसमें सेंसर, हथियार प्लेटफॉर्म और कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम का एकीकरण होगा, ताकि हवाई खतरों पर समय पर प्रतिक्रिया दी जा सके। युद्ध का स्वरूप अब तकनीक और नवाचार पर आधारित है। साइबर युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, सैटेलाइट निगरानी और स्पेस टेक्नोलॉजी इसकी अहम कड़ियां हैं।